कोयलीबेड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में चिकित्सकों की भारी कमी, अंचल के 30 हजार की आबादी इलाज के लिए परेशान

कोयलिबेड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में चिकित्सकों की भारी कमी, 30 हजार की आबादी इलाज के लिए परेशान
कोयलिबेड़ा ।
कोयलिबेड़ा क्षेत्र की 18 ग्राम पंचायतों की लगभग 30 हजार की आबादी के लिए एकमात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) कोयलिबेड़ा आज गंभीर स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है। अस्पताल में चिकित्सकों और आवश्यक स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी के कारण क्षेत्रीय जनता को समय पर और गुणवत्तापूर्ण उपचार नहीं मिल पा रहा है। यह स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है, जिससे आमजन में गहरा आक्रोश और चिंता व्याप्त है।
वर्तमान में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कोयलिबेड़ा में केवल एक ही एमबीबीएस चिकित्सक पदस्थ है, जिन पर 30 हजार से अधिक की जनसंख्या की चिकित्सा जिम्मेदारी के साथ-साथ अस्पताल प्रबंधन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों का संचालन और चौबीसों घंटे की आपातकालीन सेवाओं का संपूर्ण भार है। अकेले चिकित्सक द्वारा ओपीडी और आईपीडी सेवाएँ, प्रसव प्रकरण, दुर्घटना एवं आपातकालीन मरीजों का उपचार, एमएलसी व पोस्टमार्टम जैसे संवेदनशील कार्यों को संभालना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। इसके बावजूद चिकित्सक पूरी निष्ठा और ईमानदारी से सेवाएँ देने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण सीमाएँ स्पष्ट रूप से सामने आ रही हैं।
स्थिति को और अधिक गंभीर बनाते हुए, अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन एवं अन्य पैरामेडिकल कर्मचारियों का भी अभाव बना हुआ है। इसके अतिरिक्त कोयलिबेड़ा सीएचसी में पदस्थ दो चिकित्सक वर्तमान में प्रतिनियुक्ति पर अन्य संस्थानों में कार्यरत हैं। डॉ. अशोक संभाकर को सीएचसी अंतागढ़ में तथा डॉ. सुभ्रत मलिक के. द्वारा सिविल अस्पताल पखांजूर में सेवाएँ दी जा रही हैं। इन प्रतिनियुक्तियों के कारण कोयलिबेड़ा अस्पताल में डॉक्टरों की उपलब्धता और भी कम हो गई है, जिससे कार्यभार अत्यधिक बढ़ गया है और मरीजों को समय पर उपचार मिलना कठिन होता जा रहा है।
इसका सीधा प्रभाव क्षेत्रीय जनता पर पड़ रहा है, विशेषकर दूरस्थ और ग्रामीण अंचलों से आने वाले मरीजों को गंभीर परिस्थितियों में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आपातकालीन केस, रात्रिकालीन उपचार, प्रसव एवं दुर्घटना जैसे मामलों में समय पर चिकित्सकीय सहायता न मिल पाने का खतरा बना रहता है। कई बार मरीजों को मजबूरी में भानुप्रतापुर या अन्य दूरस्थ अस्पतालों का रुख करना पड़ता है, जिससे कीमती समय नष्ट होता है और जोखिम भी बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य विभाग के आईपीएच (इंडियन पब्लिक हेल्थ) मानकों के अनुसार प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में कम से कम छह चिकित्सा अधिकारी पदस्थ होना अनिवार्य है, जिनमें दो महिला चिकित्सक शामिल हों। इसके विपरीत कोयलिबेड़ा सीएचसी इन मानकों से कोसों दूर है। वहीं दूसरी ओर सिविल अस्पताल पखांजूर में लगातार चिकित्सकों की पदस्थापना की जा रही है और वर्तमान में वहां लगभग दस चिकित्सा अधिकारी कार्यरत हैं, जिससे कोयलिबेड़ा क्षेत्र की उपेक्षा स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों एवं नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि कोयलिबेड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में तत्काल छह चिकित्सकों की पदस्थापना की जाए, जिनमें कम से कम दो महिला चिकित्सक हों, तथा नर्सिंग स्टाफ, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन एवं अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की कमी को शीघ्र दूर किया जाए। उनका कहना है कि जब तक अस्पताल में पर्याप्त मानव संसाधन उपलब्ध नहीं होंगे, तब तक 18 पंचायतों की 30 हजार की आबादी को समुचित स्वास्थ्य सुविधाएँ मिल पाना संभव नहीं होगा।
अब यह देखना शेष है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या को कितनी गंभीरता से लेता है और कोइलिबेड़ा क्षेत्र की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ कब तक उपलब्ध कराई जाती हैं।

